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आज फंसी मझधार में नैया aaj phansee majhadhaar mein naiya
आज फंसी मझधार में नैयाढूंढ रही है किनारामाझी रे – 2माझी रे – 12 पाप करेगा जो इस जग मेंवो हरदम पछतायेगाजो माने ना बात प्रभु कीमौत से ना बच पायेगातेरा मानव कौन खेवैय्या – 2कोई ना तेरा सहाराआज फंसी… क्रूस चढ़ा प्रभु तेरे कारणदुख के कांटे सर पे सहकरहो गये अपने आज परायेसोचा नहीं…