हर पल का वो ही है खुदा Har pal ka, wohi hei khuda

हर पल का वो ही है खुदा
साँसों का वो ही मम्बा
बाँहें जो फैलाये खड़ा
आजा तू क्यूँ दूर खड़ा

चिथड़े उड़े, कोड़ों से
बाल सज़े, काँटों से
दाढ़ी नुची, हाथों से
आजा तू…

लहू लहू, उसका बदन
बक्शा उसी ने, है सुखन
उसको दे तन और मन
आजा तू…

पाप बना, तू रास्त बने
इफ्ज़ी हुआ, कि तू ना मरे
छेदा गया, तू जीता रहे
आजा तू…


Har pal ka, wohi hei khuda
saanso ka wohi mamba
baahen jo failaye khara
aaja tu kyun door khara

chithre ude, koro e
baal saje, kaanto se
daadhi nuchi hatho se
Aaja tu…

lahu lahu, uska badan
baksha usi ne hei sukhan
usko de tan aur man
Aaja tu…

paap bana tu raast bane
ifzi hua ki tu naa mare
cheda gaya tu jeeta rahe
Aaja tu…

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